Jhini Chadariya

#kabir #SaintsOfIndia

कबीरा जब हम पैदा हुए, जग हँसे, हम रोये ।

ऐसी करनी कर चलो, हम हँसे, जग रोये ॥

चदरिया झीनी रे झीनी

राम नाम रस भीनी

चदरिया झीनी रे झीनी

अष्ट-कमल का चरखा बनाया, पांच तत्व की पूनी ।

नौ-दस मास बुनन को लागे, मूरख मैली किन्ही ॥

चदरिया झीनी रे झीनी…

जब मोरी चादर बन घर आई, रंगरेज को दीन्हि ।

ऐसा रंग रंगा रंगरे ने, के लालो लाल कर दीन्हि ॥

चदरिया झीनी रे झीनी…

चादर ओढ़ शंका मत करियो, ये दो दिन तुमको दीन्हि ।

मूरख लोग भेद नहीं जाने, दिन-दिन मैली कीन्हि ॥

चदरिया झीनी रे झीनी…

ध्रुव-प्रह्लाद सुदामा ने ओढ़ी चदरिया, शुकदे में निर्मल कीन्हि ।

दास कबीर ने ऐसी ओढ़ी, ज्यूँ की त्यूं धर दीन्हि ॥

के राम नाम रस भीनी, चदरिया झीनी रे झीनी ।

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